ख़ोरी पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय हरियाणा सरकार की ग़लत मंशा का परिणाम : विजय प्रताप

फरीदाबाद, 8 जून : बडख़ल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रहे विजय प्रताप सिंह ने खोरी मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लेकर कहा कि हरियाणा सरकार ने कोर्ट में खोरी के गऱीब मजदूर लोगों के साथ विश्वासघात किया है। हरियाणा सरकार को कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए यह कहना चाहिए था कि हरियाणा सरकार इन सभी गऱीब मजदूर लोगों के लिए पुनर्वास योजना के तहत मकान बनाने को तैयार है और इस के लिए समय सीमा भी तय करनी चाहिए थी। उस तय समय सीमा तक इन लोगों को ना हटाया जाने की दलील सुप्रीम कोर्ट में पेश करनी चाहिए थी। लेकिन भाजपा सरकार ने अपनी ग़लत मंशा दर्शाते हुए इन लोगों के जीवन पर कुठाराघात किया है। एक तरफ़ भीषण कोरोना महामारी है, जिसमें जिन्दा रहने के लिए लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप लोगों के काम धंधे पर बुरा असर हुआ है और करोड़ों लोगों के रोजग़ार खऱाब हुए हैं। इसमें बड़े स्तर पर असंगठित मज़दूर भी है और ख़ोरी में रहने वाले लोग ज़्यादातर उसी क्षेत्र से हैं। ऐसे में सरकार से ये लोग आर्थिक मदद की आस लगाए बैठे थे, जिसको देखते हुए सरकार एवं सुप्रीम कोर्ट को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए था, लेकिन भाजपा के नेता चुनावों के समय बड़े-बड़े वायदे तो करते हैं, मगर उनको पूरा नहीं करते। प्रधानमंत्री मोदी ने हर बार ये कह कर लोगों को भ्रमित किया है कि 2022 तक वो सब गऱीबों को मकान देंगे, मगर इसके विपरीत छोटे छोटे बच्चों एवं बुज़ुर्गों की तरफ़ भी नहीं देखा जा रहा है कि उनका क्या होगा। विजय प्रताप ने कहा कि बड़ी विडम्बना है कि ऐसे निष्ठुर और झूठे लोग आज सरकार और सिस्टम को चला रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की इसी बेंच ने 5 अप्रैल 2021 के पेटिशन नं. 19148/2010 29-04-2016 की अपनी एक सुनवाई में ख़ोरी के विषय में ये आदेश दिए हैं की 2005 तक के सभी मामलों को पहले पुनर्वास दे, तभी उनको वहाँ से हटाये। सरकार को उस निर्णय को देखते हुए कोर्ट से गुज़ारिश करनी चाहिए की पुनर्वास के पश्चात ही लोगों को हटाना चाहिए। उन्होंने कहा की वो जल्द ही ख़ोरी जाकर वहाँ के लोगों से मिलकर उनकी मदद के लिए कोई रणनीति तय करेंगे। विजय प्रताप ने कहा कि जब तक पूर्व मंत्री चौधरी महेन्द्र प्रताप यहाँ से प्रतिनिधित्व करते रहे, तब तक यहां गऱीबों के मकान नहीं उजाड़े, उनको हटाने से पहले मकान दिए गए, चाहे वो 36 गज़ हो या आशियाना या डबुआ की पुनर्वास स्कीम हो, ये सब कांग्रेस के समय में गऱीबो को दी गयी।
 
                                                 
                                                    








