वाल्मीकि जी के स्वरूप से हमें ज्ञान प्राप्त होता है कि मानव ज्ञान के बिना अधूरा है ।धर्मवीर भड़ाना

CITYMIRR0RS-NEWS- वाल्मीकि जी के स्वरूप से हमें ज्ञान प्राप्त होता है कि मानव ज्ञान के बिना अधूरा है और हमें उनके दिखाए गए रास्ते पर चलने के लिए प्रयास करना चाहिए। समाज में सब के साथ मिल जुलकर रहना चाहियें यें बाते आप पार्टी नेता धर्मवीर भड़ाना ने एनआइटी पांच वाल्मीकि मंदिर से महर्षि वाल्मीकि प्रगट दिवस के अवसर पर निकाली गई भव्य शोभायात्रा से पहले आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही। धर्मवीर भड़ाना ने कहा की विश्व का पहला महाकाव्य रामायण लिखकर उन्होंने आदि कवि होने का गौरव पाया। रामायण प्रथम महाकाव्य है जो भगवान श्रीराम के जीवन की प्रमुख घटनाओं को काव्य के रूप में सुनाता है। ज्ञान प्राप्ति के बाद महर्षि वाल्मीकि ने रामायण ग्रंथ की रचना की। किवदंती के अनुसार महर्षि वाल्मीकि ने एक स्थान पर बैठकर घोर तपस्या की, जिससे उनके शरीर पर मिट्टी की बांबी बन गई। ऐसे महान व्यक्तित्व से हम सब को प्रेरणा लेनी चाहियें। शोभा यात्रा में लगभग 200 महिलाएं एवं युवतियां हाथ में आसमानी ध्वज लिए हुए चल रही थी। बैण्ड बाजे, ढोलक की थाप के बीच भगवान वाल्मीकि के जयकारे लग रहे थे। सजी हुई घोड़ा बग्घियां चल रही थी। भगवान वाल्मीकि, सन्त कबीर, बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर, सन्त रविदास के बड़े चित्र सजाए हुए थे। यात्रा में सफाई कर्मचारी संघ के नेता नरेश शास्त्री ,सहित कई लोगों ने भाग लिया।वही इस शोभा यात्रा में स्कूली बच्चों ने बड़ चढ़ कर भाग लिया। शोभा यात्रा एनआइटी 5,2,3,1 नम्बर से होते हुऐं शाम को मंदिर पर पहुंची।
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