मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ बी.डी पाठक ने कहा लैप्रोस्कोपिक विधि से हर्निया का ऑपरेशन , दोबारा होने का खतरा नहीं

CITYMIRRORS-NEWS-देश में हार्निया के रोगी तेजी से बढ़ रहे है। करीब पांच लाख मरीज हर्निया से पीडि़त है। वहीं औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में इस रोग के मरीजों की संख्या काफी ज्यादा। शहर के बडों अस्पतलों से मिले आकंडों के अनुसार 10 से 15 प्रतिशत लोग इस हर्निया की बीमारी से जूझ रहे है। इस बीमारी को दूर करने के लिए महज 5 फीसदी ऑपरेशन लैप्रोस्कोपिक विधि से किए जा रहे हैं। ओपन विधि से हर्निया के ऑपरेशन करने पर 18 फीसद केस में दोबारा ऑपरेशन करने की जरूरत होती है। दूरबीन विधि से ऑपरेशन करने पर महज 3 फीसद केस में ही दोबारा ऑपरेशन करने पड़ रहे हैं। यह जानकारी सेक्टर 16 स्थित मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ बी.डी पाठक ने अस्पताल में मरीजों को जागरुक करते हुए दी।सर्जन डॉ बी.डी पाठक देश के जाने माने सर्जन है। उन्होंने कहा कि लैप्रोस्कोपिक विधि का लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। वजह ट्रेंड डॉक्टरों की कमी के साथ, डॉक्टरों में नई तकनीकों को सीखने के प्रति जागरूकता का अभाव भी है। देश में लगभग हर्निया के 5 लाख रोगी हैं। हर्निया होने का कोई विशेष कारण नहीं होता है लेकिन कई कारण हर्निया होने में सहायक होते हैं जैसे कि भारी वजन उठाना, लम्बे समय तक खांसी, पेशाब में रुकावट, पहले किसी तरह की सर्जरी होना, कब्ज, मोटापा, धूम्रपान, उम्र का बढऩा, लम्बे समय तक स्टेरोइड्स व इम्यूनोसप्रेस्सिव दवाइयां और कोलोजन डिसऑडर्स आदि। इस समस्या से बचने के लिए लोगों को व्यायाम के साथ खानपान ठीक रखना चाहिए। दूरबीन विधि से ऑपरेशन के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाना चाहिए। जिससे ओपन सर्जरी के बजाय दूरबीन विधि से ऑपरेशन का लाभ अधिक मरीजों को मिल सके। उन्होंने कहा कि जहां ओपन सर्जरी के बाद मरीज को ज्यादा दिन अस्पताल में रुकना पड़ता है। वहीं, दूरबीन विधि से अस्पतालसे जल्द छुट्टी के बाद काम भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर्निया के ऑपरेशन में मेस के इस्तेमाल को लेकर भी कई बदलाव हो रहे हैं। ये मेस पॉपी प्रोपलीन के बने होते हैं। अब इनका वजन कम करने के साथ (वेट लेस) ही डबल लेयर के मेस भी आ गए हैं। मगर, अनकवर्ड मेस कारगर हैं और सस्ते भी हैं। डॉ पाठक ने कहा कि इसमें 99 फीसदी ऑपरेशन लैप्रोस्कोपिक विधि से सम्भव हैं।जबकि दूरबीन विधि से ऑपरेशन करने पर महज 3 फीसद केस में ही दोबारा ऑपरेशन के लिए आते है। वहीं दूरबीन विधि से गॉल ब्लैडर से लेकर बांझपन के ऑपरेशन किए जा रहे हैं।हर्निया रोग क्या है —शरीर के किसी भी सामान्य या असामान्य छेद से अंगों के बाहर निकलने को हर्निया कहते हैं। हर्निया का मतलब उदर हर्निया यानी पेट के हर्निया से होता है जिसमें पेट की दीवार में छेद होने की वजह से आंतें पेट से निकलकर बाहर आ जाती हैं । हर्निया के कई प्रकार होते हैं जिनमें इंग्वाईनल हर्निया, इन्सीजनल हर्निया, अम्बलिकल हर्निया, एपीगेस्ट्रिक हर्निया, हायटस हर्निया और डाईफ्रेगमेटिक हर्निया प्रमुख हैं।हर्निया के लक्षण –हर्निया पेट की दीवार की कमजोरी के कारण होता है। इसमें पेट पर (वेंट्रल) या पेट के निचले हिस्से (ग्रोइन) पर एक गांठ दिखती है जो लेटने या दबाने पर खत्म हो जाती है व खांसने या खड़े होने पर दोबारा दिखने लगती है।हर्निया में मरीज को हल्का दर्द महसूस हो सकता है। वक्त के साथ हर्निया की गांठ बढ़ती जाती है। कई बार हर्निया की गांठ में आंतें अटक जाती हैं और लेटने या दबाने पर खत्म नहीं होती। आंतों में रुकावट हो सकती है जिससे आंतें सड़ भी सकती हैं, इससे मरीज की जान को खतरा भी हो सकता है। इसलिए हर्निया का ऑपरेशन जल्द से जल्द लैप्रोस्कोपिक तकनीक से करवाना चाहिए।
 
                                                 
                                                    








